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1.प्रकाश की गति का सूत्र ऋग्वेद में ( Speed of Light formula in Rig Veda)ऋग् वेद में सूर्य की स्तुति के लिए एक ऋचा हैः
तरणिर्विश्वदर्शतो ज्योतिष्कुदसि सूर्य। विश्वमाभासि रोचनम्
इस ऋचा को पढ़कर ,टिप्पणी के रूप में सूर्य की एक और स्तुति लिखी, जो इस प्रकार हैः
तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रं द्वे द्वे शते द्वे च योजने एकेन निमिषार्धेन क्रममाण नमोऽस्तुते॥
यहाँ पर “द्वे द्वे शते  द्वे” का अर्थ है “2202″ और “एकेन निमिषार्धेन” का अर्थ “आधा निमिष” है। अर्थात सूर्य की स्तुति करते हुए यह कहा गया है कि सूर्य से चलने वाला प्रकाश आधा निमिष में 2202 योजन की यात्रा करता है।
आइए योजन और निमिष को आज प्रचलित इकाइयों में परिवर्तित करके देखें कि क्या परिणाम आता हैः
अब तक किए गए अध्ययन के अनुसार एक योजन 9 मील के तथा एक निमिष 16/75 याने कि 0.213333333333333 सेकंड के बराबर होता है।
2202 योजन = 19818 मील = 31893.979392 कि.मी.
आधा निमष = 0.106666666666666 सेकंड
अर्थात् सूर्य का प्रकाश 0.106666666666666 सेकंड में 19818 मील (31893.979392 कि.मी.) की यात्रा करता है।
याने कि प्रकाश की गति 185793.750000001 मील (299006.056800002) कि.मी. प्रति सेकंड है।
वर्तमान में प्रचलित प्रकाश की गति लगभग 186000 मील (3 x 10^8 मीटर) है जो कि ऊपर बताई गई प्रकाश की गति से लगभग मेल खाती है।
                                                                                          

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