ईश्वर ने ऋषियों को ज्ञान ,श्रुति ज्ञान के रूप में दिया | वेदों में परम सत्य ईश्वर की वाणी संगृहीत की गई है ,वेद हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति और अक्षुण्य भण्डार हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने युगों तक गहन चिंतन-मनन कर इस ब्रह्माण्ड में उपस्थित कण-कण के गूढ़ रहस्य का सत्यज्ञान वेदों में संगृहीत किया| उन्होंने अपना समस्त जीवन इन गूढ़ रहस्यों को खोजने में लगाकर भारतीय प्रथा, संस्कृति और परम्पराओं की नींव सुदृढ़ की। इन गूढ़ रहस्यों का विश्व के अनेक देशों के विद्वानों ने अध्ययन कर अपने-अपने देशों का विकास किया। चाहे वह चिकित्सा, औषधि शास्त्र का क्षेत्र हो या खगोल शास्त्र का, ज्योतिष शास्त्र का हो अथवा साहित्य का। बहुत से देशों (भारत ) के विद्वान आज भी इनका अध्ययन कर रहे हैं और उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं।
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, ‘‘वेद ईश्वरीय ज्ञान है।’’
अर्थात् वेद केवल ढकोसला मात्र नहीं है, इनमें वह पौराणिक ज्ञान समाहित है जिनके अध्ययन से धीरे-धीरे विकास हुआ और आज के आधुनिक युग की कई वस्तुओं का ज्ञान प्राचीन भारतीय ऋषियों ने पहले ही मनन कर प्राप्त कर लिया था। वेद परम शक्तिमान ईश्वर की वाणी है। अर्थात् वेद ईश्वरीय ज्ञान है।वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है वेद का पढना - पढाना और सुनना - सुनाना सभी आर्यों का परम धर्म है
वेद के अंदर वह ज्ञान, वह शक्ति है जो सम्पूर्ण मानव जाति के लिए उपयोगी है। यदि सभी को इनका अच्छा ज्ञान हो और मनुष्य उनका अनुसरण करें तो इसी धरती पर स्वर्ग बन जाएगा
वेदों में वह असीम ज्ञान है जो आज के वैज्ञानिक युग में भी प्रमाणित है अर्थात् उस समय वेद काल में लगभग सभी आधुनिक आविष्कारों का जन्म हो चुका था जो आज भी वेदों में पढा जा सकता है। वैज्ञानिक भी उन्हें स्वीकारते हैं।
वेदों में केवल धर्म का ही उल्लेख नहीं है; इनमें राजनीति, आचार, आचार-विचार, विज्ञान ज्योतिष, औषधि, दर्शन का भी विस्तृत उल्लेख मिलता है। वेदों में चारों वर्णों, उनके कार्यों, कर्तव्यों और आचरणों का भी उल्लेख है। साथ ही सामजिक आचार-विचार, शिष्टाचार, राष्ट्र रक्षा के उपाय, उस पर शासन करने के सिद्धांत उल्लेखित हैं। प्रजातांत्रिक पद्धति के लिए सभा एवं समिति जैसी संस्थाओं का उल्लेख है। व्यवसाय, आर्थिक नीतियों का वर्णन है। भूगोल से संबधित ज्ञान भी इसमें विस्तृत प्रतिपादित है। वेदों में कोई भी विषय अछूता नहीं रहा है।
इस प्रकार वेद सम्पूर्ण ज्ञान के भंडार हैं। सत्य के भंडार हैं। जिन्हें यदि कोई मनन कर अध्ययन करता है तो वह सम्पूर्ण सत्य को प्राप्त करता है। ये वेद इतने प्राचीन हैं लेकिन आज के युग में भी नवीनतम ज्ञान के भण्डार हैं। आज आधुनिकता में मनुष्य को इनका सही ज्ञान नहीं है और वे इन वेदों को मात्र ढकोसला मानते हैं, जबकि सत्यता यह है कि वे लोग अज्ञानी हैं। जो इनका अध्ययन करता है वही इस ईश्वरीय ज्ञान का भागी होता है।
वेद ज्ञान के वे भण्डार हैं जिनके उचित अध्ययन के लिए मनुष्य यदि उनमें प्रवेश करे तो वह बनकर निकलेगा और स्वयं का तो उद्धार करेगा ही साथ में औरों का भी उद्धार करेगा।
सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है-‘ज्ञान’। वस्तुतः ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञानरूपी अंधकार को नष्ट कर देता है। वेदों को इतिहास का ऐसा स्रोत कहा गया है, ज्ञान-विज्ञान का अथाह भंडार है। ‘वेद’ शब्द संस्कृत के विद् शब्द से निर्मित है अर्थात् इस एकमात्र शब्द में ही सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है।इस जगत्, इस जीवन एवं परमपिता परमेश्वर; इन सभी का वास्तविक ज्ञान वेद है।
वेद क्या है ?
वेद भारतीय संस्कृति के वे ग्रंथ हैं, जिनमें ज्योतिष, संगीत, गणित, विज्ञान, धर्म, औषधि, प्रकृति, खगोल शास्त्र आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान का भण्डार भरा पड़ा है। वेद हमारी भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। लेकिन जिस प्रकार किसी भी कार्य में मेहनत लगती है, उसी प्रकार इन रत्नरूपी वेदों का श्रमपूर्वक अध्ययन करके ही इनमें संकलित ज्ञान को मनुष्य प्राप्त कर सकता है। विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने शब्दों में कहा है कि वेद क्या है ?
मनु के अनुसार, ‘‘सभी धर्म वेद पर आधारित हैं।’’
मनु के अनुसार, ‘‘सभी धर्म वेद पर आधारित हैं।’’
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, ‘‘वेद ईश्वरीय ज्ञान है।’’
महर्षि दयानन्द के अनुसार, ‘‘समस्त ज्ञान विद्याओं का निचोड़ वेदों में निहित है।’’
प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के अनुसार,
‘‘वेद-वेद के मंत्र-मंत्र में, मंत्र-मंत्र की पंक्ति-पंक्ति में,
पंक्ति-पंक्ति के शब्द-शब्द में, शब्द-शब्द के अक्षर स्वर में,
दिव्य ज्ञान-आलोक प्रदीपित, सत्यं शिवं सुन्दरं शोभित
कपिल, कणाद और जैमिनि की स्वानुभूति का अमर प्रकाशन
विशद-विवेचन, प्रत्यालोचन ब्रह्म, जगत्, माया का दर्शन।’’
‘‘वेद-वेद के मंत्र-मंत्र में, मंत्र-मंत्र की पंक्ति-पंक्ति में,
पंक्ति-पंक्ति के शब्द-शब्द में, शब्द-शब्द के अक्षर स्वर में,
दिव्य ज्ञान-आलोक प्रदीपित, सत्यं शिवं सुन्दरं शोभित
कपिल, कणाद और जैमिनि की स्वानुभूति का अमर प्रकाशन
विशद-विवेचन, प्रत्यालोचन ब्रह्म, जगत्, माया का दर्शन।’’
अर्थात् वेद केवल ढकोसला मात्र नहीं है, इनमें वह पौराणिक ज्ञान समाहित है जिनके अध्ययन से धीरे-धीरे विकास हुआ और आज के आधुनिक युग की कई वस्तुओं का ज्ञान प्राचीन भारतीय ऋषियों ने पहले ही मनन कर प्राप्त कर लिया था। वेद परम शक्तिमान ईश्वर की वाणी है। अर्थात् वेद ईश्वरीय ज्ञान है।
वेद श्रुति भी कहलाते हैं क्योंकि श्रुति का तात्पर्य है-सुनना। इसका अर्थ है कि प्राचीन भारतीय ऋषियों ने मनन एवं ध्यान कर अपनी तपस्या के बल पर ईश्वर के ज्ञान को ग्रहण किया, उसे आत्मसात् किया।
ऋषियों ने जो ईश्वरीय ज्ञान सुना वह वेद है, श्रुति है। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा गया।
वेद ज्ञान का अनन्त भण्डार है। ये ईश्वरीय ज्ञान है। ये कोई ऐतिहासिक पुस्तकें नहीं है कि कोई घटना घटी और पुस्तकवद्ध हो गई। अतः ईश्वर की अलौकिक वाणी जो ज्ञानरूप में वेदों में निहित है, उसे समझने के लिए वेद ही वे अलौकिक नेत्र हैं जिनकी सहायता से मनुष्य ईश्वर के अलौकिक ज्ञान को समझ सकता है। वेद ही वे ज्ञान ग्रंथ हैं जिनके समकक्ष विश्व का कोई भी ग्रंथ नहीं है।
अतः वेद ईश्वरीय ज्ञान है और उनका उद्भव भी ईश्वर द्वारा ही हुआ है।
वेद ज्ञान का अनन्त भण्डार है। ये ईश्वरीय ज्ञान है। ये कोई ऐतिहासिक पुस्तकें नहीं है कि कोई घटना घटी और पुस्तकवद्ध हो गई। अतः ईश्वर की अलौकिक वाणी जो ज्ञानरूप में वेदों में निहित है, उसे समझने के लिए वेद ही वे अलौकिक नेत्र हैं जिनकी सहायता से मनुष्य ईश्वर के अलौकिक ज्ञान को समझ सकता है। वेद ही वे ज्ञान ग्रंथ हैं जिनके समकक्ष विश्व का कोई भी ग्रंथ नहीं है।
अतः वेद ईश्वरीय ज्ञान है और उनका उद्भव भी ईश्वर द्वारा ही हुआ है।
वेद के अंदर वह ज्ञान, वह शक्ति है जो सम्पूर्ण मानव जाति के लिए उपयोगी है। यदि सभी को इनका अच्छा ज्ञान हो और मनुष्य उनका अनुसरण करें तो इसी धरती पर स्वर्ग बन जाएगा
वेदों में वह असीम ज्ञान है जो आज के वैज्ञानिक युग में भी प्रमाणित है अर्थात् उस समय वेद काल में लगभग सभी आधुनिक आविष्कारों का जन्म हो चुका था जो आज भी वेदों में पढा जा सकता है। वैज्ञानिक भी उन्हें स्वीकारते हैं।
वेदों में केवल धर्म का ही उल्लेख नहीं है; इनमें राजनीति, आचार, आचार-विचार, विज्ञान ज्योतिष, औषधि, दर्शन का भी विस्तृत उल्लेख मिलता है। वेदों में चारों वर्णों, उनके कार्यों, कर्तव्यों और आचरणों का भी उल्लेख है। साथ ही सामजिक आचार-विचार, शिष्टाचार, राष्ट्र रक्षा के उपाय, उस पर शासन करने के सिद्धांत उल्लेखित हैं। प्रजातांत्रिक पद्धति के लिए सभा एवं समिति जैसी संस्थाओं का उल्लेख है। व्यवसाय, आर्थिक नीतियों का वर्णन है। भूगोल से संबधित ज्ञान भी इसमें विस्तृत प्रतिपादित है। वेदों में कोई भी विषय अछूता नहीं रहा है।
इस प्रकार वेद सम्पूर्ण ज्ञान के भंडार हैं। सत्य के भंडार हैं। जिन्हें यदि कोई मनन कर अध्ययन करता है तो वह सम्पूर्ण सत्य को प्राप्त करता है। ये वेद इतने प्राचीन हैं लेकिन आज के युग में भी नवीनतम ज्ञान के भण्डार हैं। आज आधुनिकता में मनुष्य को इनका सही ज्ञान नहीं है और वे इन वेदों को मात्र ढकोसला मानते हैं, जबकि सत्यता यह है कि वे लोग अज्ञानी हैं। जो इनका अध्ययन करता है वही इस ईश्वरीय ज्ञान का भागी होता है।
-सुमित आर्य
आर्य समाज झाँसी
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