1.पूजनीय प्रभो! हमारे भाव उज्वल कीजियेपूजनीय प्रभो! हमारे भाव उज्वल कीजिये।
छोड देवे छल-कपट को, मानसिक बल दीजिए॥
वेद की यागे ऋचा, सत्य को धारण करे।
हर्ष मे हो मग्न सारे, शोकसागर से तरे॥
अश्वमेधादिक रचा यज्ञ पर-उपकार को।
धर्म-मर्यादा चला कर, लाभ दे संसार को॥
नित्य श्रध्दा भक्ति से, यज्ञादी हम करते रहें।
रोग-पीडित विश्व के संताप सब हरते रहें॥
भावना मिट जाए मन से पाप अत्याचार की।
कामना पूर्ण होवे यज्ञ से नरनारि की॥
लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए।
वायुजल सर्वत्र हो शुभ गंध को धारण किए॥
स्वार्थ भाव मिटे हमारा प्रेम-पथ विस्तार हो।
'इदं न मम' का सार्थक प्रत्येक मे व्यवहार हो॥
प्रेम रस मे मग्न हो कर वंदना हम कर रहे।
नाथ करुणारुप करुणा आपकी सब पा रहे॥
2.पितु मातु सहायक स्वामी / भजनपितु मातु सहायक स्वामी
पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुमही एक नाथ हमारे हो .
जिनके कछु और आधार नहीं तिन्ह के तुमही रखवारे हो ..
सब भांति सदा सुखदायक हो दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो .
प्रतिपाल करो सिगरे जग को अतिशय करुणा उर धारे हो ..
भुलिहै हम ही तुमको तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ..
उपकारन को कछु अंत नही छिन ही छिन जो विस्तारे हो .
महाराज! महा महिमा तुम्हरी समुझे बिरले बुधवारे हो .
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधे मनमंदिर के उजियारे हो ..
यह जीवन के तुम्ह जीवन हो इन प्राणन के तुम प्यारे हो .
तुम सों प्रभु पाइ प्रताप हरि केहि के अब और सहारे हो ..
courtsey- rajendra arya ji
3.पत्थर पूजा में सुख है ना ,मैं जान गयी ||
आर्य समाजियों का कहना मैं मान गयीपत्थर पूजा में सुख है ना ,मैं जान गयी ||
आर्य समाजियों का कहना मैं मान गयी ||
इस से तो अच्छी है चक्की हमारी , खाएं हम जिसका पिसना ,
मैं जान गयी!! आर्य समाजियों का कहना मैं मान गयी ||
सास ससुर हैं पूज्य हमारे
Courtsey-krishna arya
4.स्वस्तिवाचन भजन : मनुष्य शरीर एक दैवी नौका है
ओ3म् ओ३म् सुत्रामाणां पृथिवीं द्यामनेहसम्,
सुशर्माणमदितिं सुप्रणीतिम्।
दैवीं नावं स्वरित्रामनागसम्,
अस्रवन्तीमारुहेमा स्वस्तये।। ऋग्वेद 10.63.10
कीजो मोरी पार नवरिया...अन्तर्यामी रे....
चंचल मन डोले विषयन में
चैन नहीं पाया जीवन में
तुम बिन कौन सहायक मेरा
सुपथ सुगामी रे...कीजो मोरी पार नवरिया अन्तर्यामी रे....
तुमको छोड़ कहाँ अब जाऊं
किसको अपना दर्द सुनाऊं
आन पड़ा हूँ दर पर तेरे
सुध लो स्वामी रे... कीजो मोरी पार नवरिया अन्तर्यामी रे....
आशा की इक किरण जगी है
तुम से ही अब लगन लगी है
दूर करो हे नाथ मेरे
जीवन की खामी रे...कीजो मोरी पार नवरिया अन्तर्यामी रे....
चाहे हो संकट ने घेरा
छूटे नहीं सहारा तेरा
मधुर रहूँ मैं सदा तुम्हारा
हे अनुगामी रे....कीजो मोरी पार नवरिया..अन्तर्यामी रे....
courtsey- Rajendra arya ji
इतनी शक्ति हमें दे न दाता
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रास्ते पे हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना...
हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है
सहमा-सहमा-सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढ़ता ही जाये
जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले
तेरी रचना का ये अन्त हो ना...
हम चले...
दूर अज्ञान के हो अन्धेरे
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचके रहें हम
जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसीका किसीसे
भावना मन में बदले की हो ना...
हम चले...
हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाटें सभी को
सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
अपनी करुणा को जब तू बहा दे
करदे पावन हर इक मन का कोना...
हम चले...
हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे,
खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से,
हम सज़ा पाये अपने किये की,
मौत भी हो तो सह ले खुशी से,
कल जो गुज़रा है फिरसे ना गुज़रे,
आनेवाला वो कल ऐसा हो ना...
हम चले नेक रास्ते पे हमसे,
भुलकर भी कोई भूल हो ना...
इतनी शक्ति हमें दे ना दाता,
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
जब ज़ुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना,
वो बुराई करें,
हम भलाई भरें,
नहीं बदले की हो कामना...
बढ़ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इनसान घबरा रहा,
हो रहा बेखबर,
कुछ न आता नज़र,
सुख का सूरज छिपा जा रहा,
है तेरी रोशनी में वो दम,
जो अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
बड़ा कमज़ोर है आदमी,
अभी लाखों हैं इसमें कमी,
पर तू जो खड़ा,
है दयालू बड़ा,
तेरी किरपा से धरती थमी,
दिया तूने हमें जब जनम,
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
छोड देवे छल-कपट को, मानसिक बल दीजिए॥
वेद की यागे ऋचा, सत्य को धारण करे।
हर्ष मे हो मग्न सारे, शोकसागर से तरे॥
अश्वमेधादिक रचा यज्ञ पर-उपकार को।
धर्म-मर्यादा चला कर, लाभ दे संसार को॥
नित्य श्रध्दा भक्ति से, यज्ञादी हम करते रहें।
रोग-पीडित विश्व के संताप सब हरते रहें॥
भावना मिट जाए मन से पाप अत्याचार की।
कामना पूर्ण होवे यज्ञ से नरनारि की॥
लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए।
वायुजल सर्वत्र हो शुभ गंध को धारण किए॥
स्वार्थ भाव मिटे हमारा प्रेम-पथ विस्तार हो।
'इदं न मम' का सार्थक प्रत्येक मे व्यवहार हो॥
प्रेम रस मे मग्न हो कर वंदना हम कर रहे।
नाथ करुणारुप करुणा आपकी सब पा रहे॥
2.पितु मातु सहायक स्वामी / भजन
पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुमही एक नाथ हमारे हो .
जिनके कछु और आधार नहीं तिन्ह के तुमही रखवारे हो ..
सब भांति सदा सुखदायक हो दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो .
प्रतिपाल करो सिगरे जग को अतिशय करुणा उर धारे हो ..
भुलिहै हम ही तुमको तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ..
उपकारन को कछु अंत नही छिन ही छिन जो विस्तारे हो .
महाराज! महा महिमा तुम्हरी समुझे बिरले बुधवारे हो .
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधे मनमंदिर के उजियारे हो ..
यह जीवन के तुम्ह जीवन हो इन प्राणन के तुम प्यारे हो .
तुम सों प्रभु पाइ प्रताप हरि केहि के अब और सहारे हो ..
courtsey- rajendra arya ji
3.पत्थर पूजा में सुख है ना ,मैं जान गयी ||
आर्य समाजियों का कहना मैं मान गयीपत्थर पूजा में सुख है ना ,मैं जान गयी ||
आर्य समाजियों का कहना मैं मान गयी ||
इस से तो अच्छी है चक्की हमारी , खाएं हम जिसका पिसना ,
मैं जान गयी!! आर्य समाजियों का कहना मैं मान गयी ||
सास ससुर हैं पूज्य हमारे
Courtsey-krishna arya
4.स्वस्तिवाचन भजन : मनुष्य शरीर एक दैवी नौका है
ओ3म् ओ३म् सुत्रामाणां पृथिवीं द्यामनेहसम्,
सुशर्माणमदितिं सुप्रणीतिम्।
दैवीं नावं स्वरित्रामनागसम्,
अस्रवन्तीमारुहेमा स्वस्तये।। ऋग्वेद 10.63.10
कीजो मोरी पार नवरिया...अन्तर्यामी रे....
चंचल मन डोले विषयन में
चैन नहीं पाया जीवन में
तुम बिन कौन सहायक मेरा
सुपथ सुगामी रे...कीजो मोरी पार नवरिया अन्तर्यामी रे....
तुमको छोड़ कहाँ अब जाऊं
किसको अपना दर्द सुनाऊं
आन पड़ा हूँ दर पर तेरे
सुध लो स्वामी रे... कीजो मोरी पार नवरिया अन्तर्यामी रे....
आशा की इक किरण जगी है
तुम से ही अब लगन लगी है
दूर करो हे नाथ मेरे
जीवन की खामी रे...कीजो मोरी पार नवरिया अन्तर्यामी रे....
चाहे हो संकट ने घेरा
छूटे नहीं सहारा तेरा
मधुर रहूँ मैं सदा तुम्हारा
हे अनुगामी रे....कीजो मोरी पार नवरिया..अन्तर्यामी रे....
courtsey- Rajendra arya ji
5.तू न जाने आस पास है खुदा
धुंधला जाएँ जो मंजिलें
इक पल को तू नज़र झुका
झुक जाए सर जहाँ वही
मिलता है रब का रास्ता
तेरी किस्मत तू बदल दे
रख हिम्मत बस चल दे
तेरे साथी मेरे क़दमों के हैं निशाँ
तू न जाने आस पास है खुदा ..
खुद पे दाल तू नज़र
हालातों से हार कर
कहाँ चला रे
हाथ की लकीर को
मोधता मरोड़ता
है हौसला रे
तोह खुद तेरे ख्वाबों के रंग में
तू अपने जहाँ को भी रंग दे
के चलता हूँ में तेरे संग में
हो शाम भी तोह क्या
जब होगा अँधेरा
तब पायेगा दर मेरा
उस दर पे फिर होगी तेरी सुबह
तू न जाने आस पास है खुदा ...
मिट जाते हैं सबके निशाँ
बस एक वोह मिटता नहीं है हाय
मान ले जो हर मुश्किल को मर्ज़ी मेरी हाय
हो हमसफ़र ना तेरा जब कोई
तू हो जहाँ रहूँगा में वही
तुझसे कभी न इक पल भी में जुदा
तू न जाने आस पास है खुदा ...
इक पल को तू नज़र झुका
झुक जाए सर जहाँ वही
मिलता है रब का रास्ता
तेरी किस्मत तू बदल दे
रख हिम्मत बस चल दे
तेरे साथी मेरे क़दमों के हैं निशाँ
तू न जाने आस पास है खुदा ..
खुद पे दाल तू नज़र
हालातों से हार कर
कहाँ चला रे
हाथ की लकीर को
मोधता मरोड़ता
है हौसला रे
तोह खुद तेरे ख्वाबों के रंग में
तू अपने जहाँ को भी रंग दे
के चलता हूँ में तेरे संग में
हो शाम भी तोह क्या
जब होगा अँधेरा
तब पायेगा दर मेरा
उस दर पे फिर होगी तेरी सुबह
तू न जाने आस पास है खुदा ...
मिट जाते हैं सबके निशाँ
बस एक वोह मिटता नहीं है हाय
मान ले जो हर मुश्किल को मर्ज़ी मेरी हाय
हो हमसफ़र ना तेरा जब कोई
तू हो जहाँ रहूँगा में वही
तुझसे कभी न इक पल भी में जुदा
तू न जाने आस पास है खुदा ...
6.इतनी शक्ति हमें दे न दाता
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना
इतनी शक्ति हमें दे न दाता
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना
हम चलें नेक रास्ते पे हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना...
हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है
सहमा-सहमा-सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढ़ता ही जाये
जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले
तेरी रचना का ये अन्त हो ना...
हम चले...
दूर अज्ञान के हो अन्धेरे
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचके रहें हम
जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसीका किसीसे
भावना मन में बदले की हो ना...
हम चले...
हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाटें सभी को
सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
अपनी करुणा को जब तू बहा दे
करदे पावन हर इक मन का कोना...
हम चले...
हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे,
खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से,
हम सज़ा पाये अपने किये की,
मौत भी हो तो सह ले खुशी से,
कल जो गुज़रा है फिरसे ना गुज़रे,
आनेवाला वो कल ऐसा हो ना...
हम चले नेक रास्ते पे हमसे,
भुलकर भी कोई भूल हो ना...
इतनी शक्ति हमें दे ना दाता,
मनका विश्वास कमज़ोर हो ना...
7.ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
जब ज़ुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना,
वो बुराई करें,
हम भलाई भरें,
नहीं बदले की हो कामना...
बढ़ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इनसान घबरा रहा,
हो रहा बेखबर,
कुछ न आता नज़र,
सुख का सूरज छिपा जा रहा,
है तेरी रोशनी में वो दम,
जो अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
बड़ा कमज़ोर है आदमी,
अभी लाखों हैं इसमें कमी,
पर तू जो खड़ा,
है दयालू बड़ा,
तेरी किरपा से धरती थमी,
दिया तूने हमें जब जनम,
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
8.कसमे वादे प्यार वफ़ा सब ,
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब ,
बातें हैं बातो का क्या ....
कोई किसी का नहीं ये झूठे ,
नाते हैं नातों का क्या
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब ,
बातें हैं बातो का क्या
होगा मसीहा ...
होगा मसीहा सामने तेरे ,
फिर भी न तू बच पायेगा
तेरा अपना �
तेरा अपना खून ही आखिर तुझको आग लगाएगा
आसमान में ...
आसमान में उड़ने वाले मिटटी में मिल जाएगा
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब , बातें हैं बातो का क्या
सुख में तेरे ...
सुख में तेरे साथ चलेंगे ,
दुःख में सब मुख मोडेंगे
दुनिया वाले ...
दुनिया वाले तेरे बनकर तेरा ही दिल तोड़ेंगे
देते हैं ...
देते हैं भगवान् को धोखा ,
इंसान को क्या छोड़ेंगे
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब ,
बातें हैं बातो का क्या ....
KINDLY POST TELEPHONE NUMBER
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